::Sad Status In Hindi :: | :: Sad Shayari In Hindi ::



बदल जाऊँगा मैं भी इक दिन पूरी तरह,
तुम्हारे लिये न सही,तुम्हारी वजह से यकीनन...


काश ये दिल बेजान होता,
ना किसी के आने से धडकता,
ना किसी के जाने पर तडपता...


हमें तो कब से पता था कि तुम बेवफा हो,
बस तुझसे प्यार करते रहे कि शायद तुम्हारी फितरत बदल जाये।


हर रोज बहक जाते हैं मेरे कदम,तेरे पास आने के लिये.
ना जाने कितने फासले तय करने अभी बाकी है तुमको पाने के लिये...


ना मेरा दिल बुरा था ना उसमें कोई बुराई थी,
सब नसीब का खेल है,बस किस्मत में जुदाई थी।


इरादा कतल का था तो मेरा सिर कलम कर देते,
क्यों इश्क़ में डाल कर तूने मेरी हर साँस पर मौत लिखदी।


मोहब्बत भी हाथों में लगी मेहँदी की तरह होती है,
कितनी भी गहरी क्यों ना हो फीकी पड़ ही जाती है।


भुला देंगे तुमको ज़रा सब्र तो कीजिये,
आपकी तरह मतलबी बनने में थोड़ा वक़्त तो लगेगा हमें।


लिखना था की खुश हूँ तेरे बिना पर,
आंसू ही गिर पड़े आँखों से लिखने से पहले।


चलती हुई “कहानियों” के जवाब तो बहुत है मेरे पास,
लेकिन खत्म हुए “किस्सों” की खामोशी ही बेहतर है...


रे‬ सिवा कौन ‎समा‬ सकता है ‎मेरे‬ दिल में,‪
रूह‬ भी गिरवी रख दी है मैंने तेरी‬ चाहत में...


बड़ी हिम्मत दी उसकी जुदाई ने,
ना अब किसी को खोने का दुःख ना किसी को पाने की चाह।



मोहब्बत होने में कुछ लम्हे लगते है,
पूरी उम्र लग जाती है उसे भुलाने में...


प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं,
जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए।


उजड़ जाते हैं सिर से पाँव तक वो लोग,
जो किसी बेपरवाह से बेइंतहा मोहब्बत करते हैं...


हजारो गम है सीने मे मगर शिकवा करें किससे,
इधर दिल है तो अपना है,उधर तुम हो तो अपने हो…


बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी तुम्हारी,पहले पागल किया.
फिर पागल कहा,फिर पागल समझ कर छोड़ दिया...


खुल जाता है तेरी यादों का बाजार सुबह सुबह,
 और हम उसी रौनक में पूरा दिन गुजार देते है...


मुझे भी शामिल करो गुनहगारों की महफ़िल में,मैं भी क़ातिल हूँ ,
अपनी हसरतों का,मैंने भी अपनी ख्वाहिशों को मारा है।


कोई मिला नहीं तुम जैसा आज तक,
पर ये सितम अलग है की मिले तुम भी नही...


ना जाने क्या कमी है मुझमें,
ना जाने क्या खूबी है उसमें,
वो मुझे याद नहीं करती,
 मैं उसको भूल नहीं पाता...


आज उस की आँखों मे आँसू आ गये,
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है...


मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना,
बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना...


हुस्न वाले जब तोड़ते हैं दिल किसी का,
बड़ी सादगी से कहते है मजबूर थे हम...


किसी को प्यार करो तो इतना करों की,
 उसे जब भी प्यार मिलें,तो तुम याद आओ...


रोज़ ख्वाबों में जीता हूँ वो ज़िन्दगी,
जो तेरे साथ मैंने हक़ीक़त में सोची थी...


हमने तो एक ही शख्स पर चाहत ख़त्म कर दी,
अब मोहब्बत किसे कहते है मालूम नहीं...


उनके हाथ पकड़ने की मजबूती जब ढीली हुई तो,
 एहसास हुआ शायद ये वही जगह है जहां रास्ते बदलने है...


खुद से मिलने की भी फुरसत नहीं है अब मुझे,
और वो औरो से मिलने का इलज़ाम लगा रहे है..


रात भर जागता हूँ एक एसे सख्श की खातिर,
जिसको दिन के उजाले मे भी मेरी याद नही आती...


इश्क लिखना चाहा तो कलम भी टूट गयी,
ये कहकर अगर लिखने से इश्क मिलता तो,
 आज इश्क से जुदा होकर कोई टूटता नही...



तू हजार बार रुठेगी फिर भी तुझे मना लूँगा,
तुझसे प्यार किया हे कोई गुनाह नही,
जो तुझसे दूर होकर खुद को सजा दूँगा...


कैसे करूँ मैं साबित,
कि तुम याद बहुत आते हो,
एहसास तुम समझते नही,
और अदाएं हमे आती नहीं…


टूट जायेंगी उसकी “ज़िद” की आदत उस वक़्त,
जब मिलेगी ख़बर उनको की याद करने वाला अब याद बन गया है…


हर रात जान बूझकर रखता हूँ दरवाज़ा खुला,
शायद कोई लुटेरा मेरा गम भी लूट ले...


नींद भी नीलाम हो जाती है बाज़ार -ए- इश्क में,
किसी को भूल कर सो जाना, आसान नहीं होता...


दिल तो करता हैं की रूठ जाऊँ कभी बच्चों की तरह,
 फिर सोचता हूँ कि मनाएगा कौन…?


एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी चुका दिया,
जितना खाया था नमक मेरा, मेरे जख्मों पर लगा दिया...


म अपने ज़ुल्म की इन्तेहाँ कर दो,
फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले…


लिखना तो ये था कि खुश हूँ तेरे बगैर भी.
पर कलम से पहले आँसू कागज़ पर गिर गया...


हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए;
गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए;मंज़िल हमारी,
हमारे करीब से गुज़र गयी;
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।


दिल से खेलना तो हमे भी आता है,
लेकिन जिस खैल मे खिलौना टुट जाए वो खेल हमे पसंद नही...


किसी ने यूँ ही पूछ लिया हमसे कि दर्द की कीमत क्या है;
हमने हँसते हुए कहा,
“पता नहीं…कुछ अपने मुफ्त में दे जाते हैं।


आज हम हैं,कल हमारी यादें होंगी.
जब हम ना होंगे,तब हमारी बातें होंगी.
कभी पलटो गे जिंदगी के ये पन्ने,
तो शायद आप की आँखों से भी बरसातें होंगी...


दिल ही दिल में कुछ छुपाती है वो,
यादों में आ कर चैन चुराती है वो,
ख्वाबों में एक ऐहसास जगा रखा है,
बन्द आँखों में अश्क बन के तडपाती है वो...


टूट जायेंगी उसकी “ज़िद” की आदत उस वक़्त,
जब मिलेगी ख़बर उनको की याद करने वाला अब याद बन गया है…


नाकाम मोहबत्त भी बड़े काम की होती है,
दिल मिले ना मिले इलज़ाम जरुर मिल जाता है...


उसकी जुदाई को लफ़्ज़ों में कैसे बयान करें,
वो रहता दिल में,
धडकता दर्द में…
और बहता अश्क में...


उसके दिल पर भी,
क्या खूब गुज़री होगी,
जिसने इस दर्द का नाम,
मोहब्बत रखा होगा...


हमसे भुलाया ही नहीं जाता,
एक मुखलिस का प्यार;
लोग जिगर वाले हैं,
जो रोज नया महबूब बना लेते हैं...


मुझे मंजूर थे वक़्त के सब सितम मगर,
तुमसे मिलकर बिछड़ जाना,
ये सजा ज़रा ज्यादा हो गयी।


तू मांग तो सही अपनी दुआओ मे बददुआ मेरे लिए,
मै हंसकर खुदा से आमीन कह दूंगा…



वो बड़े ताज्जुब से पूछ बैठा मेरे गम की वजह,
फिर हल्का सा मुस्कराया,
और कहा,
मोहब्बत की थी ना…?


जानते हो महोब्बत किसे कहते हैं ?
 किसी को सोचना,फिर मुस्कुराना
 और फिर आसू बहाते हुए सो जाना...


मजा चख लेने दो उसे गेरो की मोहबत का भी,
इतनी चाहत के बाद जो मेरा न हुआ वो ओरो का क्या होगा।


न जाने कैसे आग लग गई बहते हुये पानी में...
हमने तो बस कुछ ख़त बहाये थे,"उसके नाम के"...


एक ग़ज़ल तेरे लिए ज़रूर लिखूंगा;
बे-हिसाब उस में तेरा कसूर लिखूंगा;
टूट गए बचपन के तेरे सारे खिलौने;
अब दिलों से खेलना तेरा दस्तूर लिखूंगा...


बेशक खूबसूरत तो वो आज भी है,
लेकिन चेहरे पर वो मुस्कान नहीं,
जो हम लाया करते थे…


भूल जाने का मशवरा और जिँदगी बनाने की सलाह,
ये कुछ तोहफे मिले थे,
उनसे आखिरी मुलाकात मेँ…


आँखों के समंदर में कभी उतर कर न देखा,
दिल के दरिया में कभी बहकर न देखा.
सब कहते रहे मुझको कि पत्थर दिल हूँ मैं,
मोम का बना था मैं, मगर किसी ने छूकर न देखा...


इश्क हमें जीना सिखा देता है,
वफा के नाम पर मरना सिखा देता है,
इश्क नहीं किया तो करके देखो,
 जालिम हर दर्द सहना सिखा देता है...


याद आयेगी हमारी तो बीते कल की किताब पलट लेना,
 यूँ ही किसी पन्ने पर मुस्कुराते हुए हम मिल जायेंगे।


आँसू आ जाते हैं आँखों में पर लबों पर हंसी लानी पड़ती है,
 ये मोहब्बत भी क्या चीज़ है यारो,
 जिस से करते हैं उसी से छुपानी पड़ती है।


रोज तेरा इंतजार होता है रोज ये दिल बेक़रार होता है,
 काश के तुम समझ सकते के चुप रहने वालों को भी प्यार होता है...


तेरे बाद हमने दिल का दरवाजा खोला ही नही,
वरना बहुत से चाँद आए इस घर को सजाने के लिए...


काश तेरी याद़ों का खज़ाना बेच पाते हम,
हमारी भी गिनती आज अमीरों में होती।


आ गया फरक उसकी नजरोँ में यकीनन,
अब वो हमें ‘खास अदांज’ से ‘नजर अदांज’ करती हैं...


ये तेरा वहम है के हम तुम्हे भूल जायेगे,
वो शहर तेरा होगा,
जहाँ बेवफा लोग बसा करते है...